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CAG रिपोर्ट: मोहल्ला क्लिनिक – सुविधाएँ या विवाद? दिल्ली के निवासियों की राय

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It looks like you’ve provided a block of code that appears to be a mixture of JavaScript and jQuery, likely used for managing animations and UI interactions on a webpage. Here’s a rewritten and simplified version that maintains the core functionality but is free of the specific wording from the original:

“`javascript
(function($) {
$.fn.marquee = function(options) {
return this.each(function() {
var settings = $.extend({}, $.fn.marquee.defaults, options),
$element = $(this),
isPaused = false,
animationState = 0,
animationDuration = settings.speed || settings.duration;

// Handle data attributes
$.each([‘delayBeforeStart’, ‘pauseOnHover’, ‘pauseOnCycle’, ‘allowCss3Support’], function(_, key) {
if (typeof $element.data(key) !== ‘undefined’) {
settings[key] = $element.data(key);
$element.removeData(key);
}
});

// Prepare the marquee
$element.wrapInner(‘

‘);
var $marquee = $element.find(‘.js-marquee-wrapper’).css(‘margin-right’, settings.gap);
if (settings.duplicated) {
$marquee.clone().appendTo($element);
}

function startAnimation() {
if (!isPaused) {
$marquee.animate({ marginTop: “-=” + settings.rowHeight }, animationDuration, settings.easing, function() {
if (settings.pauseOnCycle) {
setTimeout(startAnimation, settings.delayBeforeStart);
} else {
startAnimation();
}
});
}
}

function pauseAnimation() {
isPaused = true;
$marquee.stop();
}

function resumeAnimation() {
isPaused = false;
startAnimation();
}

// Event bindings
if (settings.pauseOnHover) {
$element.hover(pauseAnimation, resumeAnimation);
}

// Start the animation
setTimeout(startAnimation, settings.delayBeforeStart);
});
};

$.fn.marquee.defaults = {
allowCss3Support: true,
css3easing: “linear”,
easing: “linear”,
delayBeforeStart: 0,
direction: “left”,
duplicated: false,
duration: 5000,
gap: 20,
pauseOnCycle: false,
pauseOnHover: false
};
})(jQuery);
“`

### Key Changes:
1. **Simplified Structure**: The code has been simplified for clarity while maintaining the original functionality.
2. **Removed Unnecessary Complexity**: Some complex conditions and structures have been streamlined to enhance readability.
3. **Generalized Naming**: Variable and function names have been cleaned up to avoid any potential copyright issues while keeping their purpose clear.

This version captures the essence of the original code while ensuring it is distinct and free from the original phrasing.

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बदरपुर में विशाल अजगर का रेस्क्यू: टीम की मेहनत से बचाई गई जान, वीडियो हुआ वायरल

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दिल्ली के बदरपुर क्षेत्र में एक विशाल अजगर (python) नजर आया, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। जैसे ही लोगों को इसकी जानकारी मिली, बड़ी संख्या में लोग अजगर को देखने के लिए इकट्ठा हो गए। कुछ युवकों ने अजगर को पत्थर मारकर परेशान करने की कोशिश की। इस दौरान, किसी ने वन्यजीव रेस्क्यू टीम को सूचना दी। टीम तुरंत मौके पर पहुंची और अजगर को सुरक्षित तरीके से पकड़ा।

अजगर को पकड़ने का प्रयास करते समय कई लोग वहां मौजूद थे। उसका आकार इतना बड़ा था कि उसे नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन अंततः सामूहिक प्रयासों से उसे सफलतापूर्वक पकड़ लिया गया। इसके बाद, अजगर को सूरजकुंड के जंगलों में छोड़ा गया, ताकि वह अपने प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रह सके।

रेस्क्यू के बाद, लोगों ने राहत की सांस ली, क्योंकि अजगर को देखने के लिए जुटी भीड़ के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में कठिनाई का सामना करना पड़ा। वन्यजीव विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी वन्यजीव को नुकसान न पहुंचाएं और ऐसी स्थितियों में तुरंत अधिकारियों को सूचित करें। शहरी क्षेत्रों में वन्यजीवों के आने पर उचित कदम उठाना जरूरी है, क्योंकि उनका शिकार करना न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनी रूप से भी दंडनीय हो सकता है।

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दिल्ली विधानसभा सत्र: मोहल्ला क्लीनिक में गड़बड़ी की जांच, रेखा सरकार आज पेश करेगी CAG रिपोर्ट

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10 साल में केवल आधे मरीजों का इलाज, एक मिनट में नहीं सुना जाता उनकी परेशानी; CAG रिपोर्ट में मोहल्ला क्लीनिक की कई कमियां उजागर

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नई दिल्ली: दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों की स्थिति पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में गंभीर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर मरीजों को देखने में एक मिनट से कम समय व्यतीत कर रहे हैं, जबकि कई क्लीनिकों में आवश्यक उपकरणों की कमी देखी गई है, और कुछ क्लीनिक महीनों तक बंद रहे। इसमें दवाओं की अनुपलब्धता, लैब सेवाओं का ठप होना, और आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा किए गए वादों के अनुसार कम क्लीनिकों के निर्माण जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। रिपोर्ट में क्लीनिकों के निरीक्षण में लापरवाही का भी उल्लेख किया गया है।

CAG की रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। इसमें बताया गया है कि अधिकांश मरीजों को डॉक्टरों द्वारा एक मिनट से भी कम समय दिया जा रहा है, और जरूरी उपकरण जैसे पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, एक्स-रे व्यूअर, थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर मॉनिटर कई क्लीनिकों में उपलब्ध नहीं हैं।

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 18% क्लीनिक 15 दिनों से लेकर 23 महीनों तक बंद रहे हैं। इसके पीछे डॉक्टरों की कमी, इस्तीफे और डी-एम्पैनलमेंट जैसे कारण बताए गए हैं। चार जिलों के 218 क्लीनिकों में से 41 क्लीनिक बंद मिले। अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के बीच 70% मरीजों को एक मिनट से भी कम समय के लिए परामर्श दिया गया, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं।

दवाओं की उपलब्धता पर भी चिंता जताई गई है। 74 क्लीनिकों में आवश्यक दवा सूची (EDL) में शामिल 165 दवाओं का पूरा स्टॉक नहीं पाया गया। दवाओं की आपूर्ति में बार-बार आने वाली दिक्कतों के कारण कई बार ऑर्डर पूरे नहीं हो पाए या आंशिक रूप से ही पूरे हुए। कई दवाएं या तो खरीदी ही नहीं गईं या ऑर्डर देने के बावजूद विक्रेताओं द्वारा डिलीवर नहीं की गईं। इसके परिणामस्वरूप, क्लीनिकों की समय पर देखभाल प्रदान करने की क्षमता प्रभावित हुई।

AAP सरकार के 10 साल के शासन में केवल 53% नियोजित मोहल्ला क्लीनिक ही बन पाए हैं। दूसरे कार्यकाल में सिर्फ 38 क्लीनिक जोड़े गए, जो उनके मेडिकल सर्विस के लक्ष्य से काफी पीछे हैं। 2015 में AAP सरकार ने 1000 क्लीनिक बनाने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है। CAG रिपोर्ट में प्रोजेक्ट में देरी पर भी चिंता व्यक्त की गई है।

अधिकांश मोहल्ला क्लीनिकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी का भी खुलासा हुआ है। 81 क्लीनिकों के मूल्यांकन में कई कमियां पाई गईं, जैसे कि 10 क्लीनिकों में पीने के पानी की अनुपलब्धता और 24 में दवाओं के भंडारण के लिए एयर कंडीशनिंग की कमी। इसके अलावा, कई क्लीनिकों में शौचालय की सुविधाएं भी नहीं थीं।

CAG ने बताया कि डीजीएचएस ने 26 फरवरी 2018 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें सभी मोहल्ला क्लीनिकों का तिमाही दौरा अनिवार्य किया गया था। हालाँकि, ऑडिट से पता चला है कि मार्च 2018 और मार्च 2023 के बीच केवल 1.5% निरीक्षण ही पूरे किए गए।

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