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क्या दिल्ली का खजाना खाली है? महिलाओं को 2500 रुपये महीना देने के लिए कितनी राशि की आवश्यकता?

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दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हाल ही में यह आरोप लगाया कि पूर्व आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने राज्य के खजाने को खाली छोड़ दिया है। इसके बावजूद, उन्होंने आश्वासन दिया है कि बीजेपी सरकार अपनी महत्वाकांक्षी ‘महिला समृद्धि योजना’ को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस योजना के अंतर्गत, दिल्ली की योग्य महिलाओं को हर महीने ₹2500 की आर्थिक सहायता दी जाएगी। दूसरी ओर, AAP की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने बीजेपी को एक ‘वित्तीय रूप से मजबूत’ दिल्ली सौंपी है, और अब बीजेपी को अपने वादों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि बहाने बनाने चाहिए। आइए इस योजना और दिल्ली की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करते हैं।

### महिला समृद्धि योजना
भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि सरकार बनने पर हर योग्य महिला को ₹2500 दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि इस योजना को लागू करने के लिए अधिकारियों के साथ कई बार बैठकें हो चुकी हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मौजूदा वित्तीय स्थिति चुनौतीपूर्ण है। फिर भी, सरकार इसे एक विस्तृत योजना के साथ लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

### विपक्ष की प्रतिक्रिया
AAP की नई विपक्षी नेता आतिशी ने BJP पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब AAP ने 2015 में सरकार बनाई थी, तब दिल्ली का बजट मात्र ₹30,000 करोड़ था, जिसे पिछले दस साल में बढ़ाकर ₹77,000 करोड़ किया गया है। आतिशी का कहना है कि भाजपा को अपने वादों को पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि बहाने बनाने चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा अपने चुनावी ‘गारंटी’ से बचने की कोशिश कर रही है।

### ₹2500 देने के लिए आवश्यक राशि
दिल्ली में इस योजना को लागू करने के लिए सरकार को कितने पैसों की आवश्यकता होगी, यह महत्वपूर्ण सवाल है। दिल्ली में लगभग 38 लाख महिलाएं इस योजना के लिए पात्र हो सकती हैं। यदि हर महिला को हर महीने ₹2500 दिए जाएं, तो मासिक खर्च ₹950 करोड़ होगा, और सालाना खर्च ₹11,400 करोड़ होगा। यह राशि दिल्ली के मौजूदा बजट (₹77,000 करोड़) का लगभग 15% है।

### वित्तीय घाटे का संभावित असर
यदि दिल्ली सरकार इस राशि को अपनी मौजूदा आय से पूरा नहीं कर पाती, तो उसे या तो कर्ज लेना पड़ेगा या अन्य क्षेत्रों से फंड्स को डायवर्ट करना होगा। पिछली AAP सरकार के अनुसार, दिल्ली एक ‘रेवेन्यू सरप्लस’ राज्य था। लेकिन यदि नई सरकार को यह रकम कर्ज से जुटानी पड़ी, तो यह सरप्लस खत्म हो सकता है और घाटा बढ़ सकता है। इसका असर शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों पर पड़ सकता है, जहां से फंड्स काटे जा सकते हैं।

### सरकार के राजस्व स्रोत
दिल्ली सरकार के पास अपनी आय बढ़ाने के लिए निम्नलिखित प्रमुख स्रोत हैं:
– **टैक्स कलेक्शन:** वैट, स्टैंप ड्यूटी और मोटर वाहन टैक्स जैसे राज्य टैक्स दिल्ली की आय का बड़ा हिस्सा हैं।
– **केंद्र से मदद:** अब दिल्ली में केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार है, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने संकेत दिया है कि केंद्र से अतिरिक्त फंड्स मिलने की उम्मीद है।
– **गैर-टैक्स राजस्व:** लाइसेंस फीस, बिजली बिक्री से आय और अन्य शुल्क।
– **कर्ज:** जरूरत पड़ने पर सरकार बॉंड्स जारी कर या वित्तीय संस्थानों से कर्ज ले सकती है।

भाजपा नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार के समर्थन से बजट की कोई कमी नहीं होगी। लेकिन यदि टैक्स कलेक्शन या केंद्र से मदद बढ़ाने में देरी हुई, तो कर्ज लेना एकमात्र विकल्प हो सकता है।

### आगे की राह
भाजपा 26 साल बाद दिल्ली में सत्ता में लौटी है और 70 में से 48 सीटें जीतकर उसने AAP का दस साल का शासन समाप्त किया है। अब जनता की नजर इस बात पर है कि क्या सरकार अपने वादों को पूरा कर पाएगी। महिला समृद्धि योजना महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता का वादा है और भाजपा की विश्वसनीयता की भी परीक्षा है। क्या यह योजना समय पर लागू होगी या वित्तीय चुनौतियां इसे बाधित करेंगी? यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। दिल्ली के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि नई सरकार बहानों से बचकर अपने वादों को पूरा करेगी। महिला समृद्धि योजना का कार्यान्वयन न केवल आर्थिक मदद का सवाल है, बल्कि यह दिल्ली के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाएगा।

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बदरपुर में विशाल अजगर का रेस्क्यू: टीम की मेहनत से बचाई गई जान, वीडियो हुआ वायरल

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दिल्ली के बदरपुर क्षेत्र में एक विशाल अजगर (python) नजर आया, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। जैसे ही लोगों को इसकी जानकारी मिली, बड़ी संख्या में लोग अजगर को देखने के लिए इकट्ठा हो गए। कुछ युवकों ने अजगर को पत्थर मारकर परेशान करने की कोशिश की। इस दौरान, किसी ने वन्यजीव रेस्क्यू टीम को सूचना दी। टीम तुरंत मौके पर पहुंची और अजगर को सुरक्षित तरीके से पकड़ा।

अजगर को पकड़ने का प्रयास करते समय कई लोग वहां मौजूद थे। उसका आकार इतना बड़ा था कि उसे नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन अंततः सामूहिक प्रयासों से उसे सफलतापूर्वक पकड़ लिया गया। इसके बाद, अजगर को सूरजकुंड के जंगलों में छोड़ा गया, ताकि वह अपने प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रह सके।

रेस्क्यू के बाद, लोगों ने राहत की सांस ली, क्योंकि अजगर को देखने के लिए जुटी भीड़ के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में कठिनाई का सामना करना पड़ा। वन्यजीव विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी वन्यजीव को नुकसान न पहुंचाएं और ऐसी स्थितियों में तुरंत अधिकारियों को सूचित करें। शहरी क्षेत्रों में वन्यजीवों के आने पर उचित कदम उठाना जरूरी है, क्योंकि उनका शिकार करना न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनी रूप से भी दंडनीय हो सकता है।

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दिल्ली विधानसभा सत्र: मोहल्ला क्लीनिक में गड़बड़ी की जांच, रेखा सरकार आज पेश करेगी CAG रिपोर्ट

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10 साल में केवल आधे मरीजों का इलाज, एक मिनट में नहीं सुना जाता उनकी परेशानी; CAG रिपोर्ट में मोहल्ला क्लीनिक की कई कमियां उजागर

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नई दिल्ली: दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों की स्थिति पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में गंभीर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर मरीजों को देखने में एक मिनट से कम समय व्यतीत कर रहे हैं, जबकि कई क्लीनिकों में आवश्यक उपकरणों की कमी देखी गई है, और कुछ क्लीनिक महीनों तक बंद रहे। इसमें दवाओं की अनुपलब्धता, लैब सेवाओं का ठप होना, और आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा किए गए वादों के अनुसार कम क्लीनिकों के निर्माण जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। रिपोर्ट में क्लीनिकों के निरीक्षण में लापरवाही का भी उल्लेख किया गया है।

CAG की रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। इसमें बताया गया है कि अधिकांश मरीजों को डॉक्टरों द्वारा एक मिनट से भी कम समय दिया जा रहा है, और जरूरी उपकरण जैसे पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, एक्स-रे व्यूअर, थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर मॉनिटर कई क्लीनिकों में उपलब्ध नहीं हैं।

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 18% क्लीनिक 15 दिनों से लेकर 23 महीनों तक बंद रहे हैं। इसके पीछे डॉक्टरों की कमी, इस्तीफे और डी-एम्पैनलमेंट जैसे कारण बताए गए हैं। चार जिलों के 218 क्लीनिकों में से 41 क्लीनिक बंद मिले। अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के बीच 70% मरीजों को एक मिनट से भी कम समय के लिए परामर्श दिया गया, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं।

दवाओं की उपलब्धता पर भी चिंता जताई गई है। 74 क्लीनिकों में आवश्यक दवा सूची (EDL) में शामिल 165 दवाओं का पूरा स्टॉक नहीं पाया गया। दवाओं की आपूर्ति में बार-बार आने वाली दिक्कतों के कारण कई बार ऑर्डर पूरे नहीं हो पाए या आंशिक रूप से ही पूरे हुए। कई दवाएं या तो खरीदी ही नहीं गईं या ऑर्डर देने के बावजूद विक्रेताओं द्वारा डिलीवर नहीं की गईं। इसके परिणामस्वरूप, क्लीनिकों की समय पर देखभाल प्रदान करने की क्षमता प्रभावित हुई।

AAP सरकार के 10 साल के शासन में केवल 53% नियोजित मोहल्ला क्लीनिक ही बन पाए हैं। दूसरे कार्यकाल में सिर्फ 38 क्लीनिक जोड़े गए, जो उनके मेडिकल सर्विस के लक्ष्य से काफी पीछे हैं। 2015 में AAP सरकार ने 1000 क्लीनिक बनाने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है। CAG रिपोर्ट में प्रोजेक्ट में देरी पर भी चिंता व्यक्त की गई है।

अधिकांश मोहल्ला क्लीनिकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी का भी खुलासा हुआ है। 81 क्लीनिकों के मूल्यांकन में कई कमियां पाई गईं, जैसे कि 10 क्लीनिकों में पीने के पानी की अनुपलब्धता और 24 में दवाओं के भंडारण के लिए एयर कंडीशनिंग की कमी। इसके अलावा, कई क्लीनिकों में शौचालय की सुविधाएं भी नहीं थीं।

CAG ने बताया कि डीजीएचएस ने 26 फरवरी 2018 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें सभी मोहल्ला क्लीनिकों का तिमाही दौरा अनिवार्य किया गया था। हालाँकि, ऑडिट से पता चला है कि मार्च 2018 और मार्च 2023 के बीच केवल 1.5% निरीक्षण ही पूरे किए गए।

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