नोएडा के सेक्टर-62 स्थित आश्रम में स्वामी चिदानंद गिरि ने श्रद्धालुओं के साथ सत्संग किया। इस अवसर पर, उन्होंने कहा, “हमारे भीतर अनंत संभावनाओं का भंडार छिपा हुआ है, जो साकार होने का इंतजार कर रहा है।” उन्होंने आगे बताया कि “ध्यान वह कुंजी है जो इस छिपे हुए खजाने को खोलती है और हमें हमारे सच्चे स्वरूप की उच्चतम अभिव्यक्ति की ओर मार्गदर्शन करती है।”
स्वामी चिदानंद गिरि ने यह भी स्पष्ट किया कि ध्यान का नियमित और समर्पित अभ्यास हमारे भीतर की दिव्य क्षमताओं को जागृत कर सकता है। यह शरीर, मन और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए आंतरिक परिवर्तन और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है, जिससे हम एक उद्देश्यपूर्ण, शांत और आनंदमय जीवन जीने में सक्षम होते हैं।
उन्होंने ध्यान की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, “परिवार, कार्यस्थल, व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन, और समाज में हमारे योगदान में, हमारा आंतरिक संतुलन सबसे मूल्यवान सुरक्षा है। यह आवश्यक है कि हम इस दुनिया में परमात्मा के साथ एक सचेत संबंध बनाए रखते हुए जीवन जीना सीखें।