**मौसम की स्थिति:**
देश के विभिन्न हिस्सों में मौसम में अचानक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। कुछ राज्यों में तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जबकि अन्य इलाकों में बारिश और तेज हवाओं ने ठंडक का अनुभव कराया है। उत्तर भारत में दिन के समय गर्मी का असर बढ़ रहा है, जबकि कई पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी जारी है। दक्षिण और पूर्वी राज्यों में हल्की बारिश और आंधी-तूफान की संभावनाएं जताई गई हैं। हालांकि, आने वाले 7 दिनों में तापमान में और वृद्धि हो सकती है, जिसका प्रभाव मार्च महीने में दिखाई देगा।
इस साल मार्च का महीना भारत में असामान्य रूप से गर्म रहने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, पूरे महीने औसत से अधिक तापमान रहने का अनुमान है। इस बढ़ती गर्मी से देश की गेहूं की फसल पर खतरा मंडरा सकता है, जिससे उत्पादन में कमी आ सकती है।
**मार्च में उच्च तापमान की चेतावनी:**
मौसम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, मार्च में दिन और रात का तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। विशेषकर दूसरे हफ्ते से तापमान में तेजी से वृद्धि हो सकती है, और महीने के अंत तक कई राज्यों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस (104°F) के पार जा सकता है।
गर्मी का सबसे अधिक प्रभाव उत्तर और मध्य भारत में देखने को मिलेगा, खासकर गेहूं उत्पादक राज्यों में। यहां का तापमान सामान्य से 6 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा हो सकता है। बढ़ती गर्मी का सीधा असर गेहूं, चने और सरसों की फसलों पर पड़ेगा, क्योंकि ये ठंडे मौसम में बेहतर उत्पादन देती हैं।
**गेहूं उत्पादन पर प्रभाव, आयात महंगा हो सकता है:**
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है, और इस साल सरकार बेहतर फसल की उम्मीद कर रही थी। लेकिन लगातार तीसरे साल कमजोर उत्पादन के बाद, अब चौथे साल भी गेहूं की पैदावार में कमी आ सकती है। इससे घरेलू आपूर्ति घटेगी और सरकार को 40 फीसदी आयात में कमी लाने या उसे समाप्त करने पर विचार करना पड़ सकता है।
**महंगाई बढ़ने के संकेत:**
फरवरी पहले ही औसत से अधिक गर्म रहा, और अब मार्च में और अधिक तापमान बढ़ने की आशंका है। इस वजह से गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। अगर गर्मी अधिक बढ़ती है, तो फसल को हीट स्ट्रेस हो सकता है और उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे खाद्य महंगाई में वृद्धि हो सकती है।
**2022 जैसी स्थिति का खतरा:**
2022 में अचानक आई गर्मी ने गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया था, जिससे भारत को गेहूं निर्यात पर रोक लगानी पड़ी थी। यदि इस बार भी ऐसी स्थिति बनती है, तो सरकार को घरेलू आपूर्ति बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाने पड़ सकते हैं।