नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता परिवर्तन के बाद राजनीतिक हलचलें जारी हैं। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति से आम आदमी पार्टी के विधायक दल के साथ तुरंत मिलने का समय मांगा है। पूर्व सीएम ने पत्र में बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के विभिन्न कार्यालयों से संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरें हटा दी गई हैं, जो न केवल देश के वीर सपूतों का अपमान है, बल्कि यह दलित, पिछड़े और वंचित समाज का भी अपमान है।
आतिशी ने राष्ट्रपति को पत्र में कहा कि वह एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करना चाहती हैं, जो भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार ने महत्वपूर्ण ऐतिहासिक चेहरों की तस्वीरें हटाई हैं, और यह कदम देश के वीर सपूतों के प्रति अपमानजनक है।
आतिशी ने आगे लिखा, “जब आम आदमी पार्टी ने इस कदम का विरोध किया, तो विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने अलोकतांत्रिक तरीके से आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को तीन दिनों के लिए सदन की बैठकों से निष्कासित कर दिया। 27 फरवरी को जब आम आदमी पार्टी के विधायक विधानसभा जा रहे थे, तो दिल्ली पुलिस ने उन्हें भारी बैरिकेडिंग के जरिए रोक दिया।”
उन्होंने राष्ट्रपति को बताया कि जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को विधानसभा में प्रवेश से रोकना लोकतंत्र की हत्या है, जिसके कारण विपक्ष के विधायकों को सड़कों पर धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह घटना भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक काला धब्बा है।
आतिशी ने सवाल किया कि यदि विपक्ष को इस तरह रोका जाएगा, तो जनता के मुद्दे कौन उठाएगा? उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों का होना आवश्यक है ताकि आम लोगों की आवाज सुनी जा सके। उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की कि आम आदमी पार्टी के विधायकों को 28 फरवरी 2025 को मिलने का समय दें ताकि वे इस तानाशाही के खिलाफ उचित कदम उठा सकें।
इससे पहले, उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के अभिभाषण के दौरान सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के कारण आम आदमी पार्टी के विधायकों को विधानसभा से निलंबित किया गया था। पार्टी ने यह आरोप लगाया कि वे मुख्यमंत्री कार्यालय से बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर हटाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। विधानसभा परिसर में प्रवेश न मिलने पर पार्टी नेताओं ने विधानसभा के गेट के बाहर धरना दिया।