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दिल्ली विधानसभा में आज प्रस्तुत होगी दूसरी CAG रिपोर्ट, स्वास्थ्य क्षेत्र का होगा विस्तृत लेखा-जोखा

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नई दिल्ली: आज दिल्ली विधानसभा में एक नई CAG रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर इस रिपोर्ट को सदन में पेश करेंगी। इससे पहले, दिल्ली की शराब नीति से संबंधित CAG रिपोर्ट को आगे की जांच के लिए विधानसभा की सार्वजनिक लेखा समिति (PAC) को भेजा गया है। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने PAC को तीन महीने में अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

गुप्ता ने कहा कि CAG रिपोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की आबकारी नीति के कार्यान्वयन में हुई अनियमितताओं को उजागर किया है। विधानसभा परिसर में 21 निलंबित विपक्षी विधायकों की एंट्री पर रोक के कारण विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया और गेट पर धरना दिया।

दिल्ली में शराब की आपूर्ति और विनियमन से संबंधित CAG रिपोर्ट को विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने PAC को भेजा है। समिति को निर्देश दिया गया है कि वह तीन महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सदन में पेश करे। गुप्ता ने कहा कि CAG की रिपोर्ट ने AAP सरकार द्वारा आबकारी नीति के कार्यान्वयन में की गई गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया है।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि किस प्रकार सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया, जिससे निजी कंपनियों ने सरकारी खर्च पर लाभ कमाया। यह ऑडिट 2017 से 2021 की अवधि के लिए किया गया था, लेकिन CAG ने नई नीति लागू होने से पहले की अवधि में भी कई गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया है। इस मामले की जल्द से जल्द जांच और निष्कर्ष पर पहुंचने की आवश्यकता है, ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके।

गुप्ता ने संसदीय प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए कहा कि विधानसभा की लोक लेखा समिति इस रिपोर्ट की गहन जांच करके तीन महीने में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उन्होंने विधानसभा सचिवालय को निर्देश दिया है कि रिपोर्ट को संबंधित विभागों को टिप्पणियों के लिए भेजा जाए और आबकारी विभाग को एक महीने के भीतर रिपोर्ट पर टिप्पणियां और कार्रवाई का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

इससे पहले, गुरुवार को विधानसभा में CAG रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा हुई। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को रिपोर्ट पेश की थी, लेकिन उस दिन केवल कुछ विधायक ही चर्चा में शामिल हो पाए। गुरुवार को चर्चा को जारी रखा गया, जिसमें मंत्री कपिल मिश्रा, विधायक सतीश उपाध्याय, शिखा राय, जितेंद्र महाजन और अन्य शामिल हुए। विपक्ष की तरफ से विधायक अमानतुल्लाह खान ने भी अपनी बात रखी।

मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि इस मामले में CBI और ED की चार्जशीट को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, क्योंकि इन एजेंसियों ने जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं। विधायक जितेंद्र महाजन ने बार कोड स्कैनिंग में गड़बड़ियों का उल्लेख करते हुए शराब की बिक्री को आधार कार्ड से लिंक करने का सुझाव दिया। विधायक जरनैल सिंह ने कहा कि घटिया क्वालिटी की शराब पीने से कई लोग गंभीर रूप से बीमार हुए हैं।

अमानतुल्लाह खान ने नीति का बचाव करते हुए कहा कि रिपोर्ट के अधिकांश अध्याय पुरानी नीति की कमजोरियों को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि नई नीति पारदर्शी थी, लेकिन इसे सही तरीके से लागू नहीं किया गया।

बुधवार को विधानसभा में नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ करने की मांग की गई। विपक्षी विधायकों ने विधानसभा परिसर में प्रवेश से रोकने पर प्रदर्शन भी किया।

अंत में, बीजेपी के वरिष्ठ नेता मोहन सिंह बिष्ट को दिल्ली विधानसभा का उपाध्यक्ष चुना गया। उन्हें निर्विरोध चुना गया, क्योंकि विपक्ष की ओर से इस पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं था।

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बदरपुर में विशाल अजगर का रेस्क्यू: टीम की मेहनत से बचाई गई जान, वीडियो हुआ वायरल

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दिल्ली के बदरपुर क्षेत्र में एक विशाल अजगर (python) नजर आया, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। जैसे ही लोगों को इसकी जानकारी मिली, बड़ी संख्या में लोग अजगर को देखने के लिए इकट्ठा हो गए। कुछ युवकों ने अजगर को पत्थर मारकर परेशान करने की कोशिश की। इस दौरान, किसी ने वन्यजीव रेस्क्यू टीम को सूचना दी। टीम तुरंत मौके पर पहुंची और अजगर को सुरक्षित तरीके से पकड़ा।

अजगर को पकड़ने का प्रयास करते समय कई लोग वहां मौजूद थे। उसका आकार इतना बड़ा था कि उसे नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन अंततः सामूहिक प्रयासों से उसे सफलतापूर्वक पकड़ लिया गया। इसके बाद, अजगर को सूरजकुंड के जंगलों में छोड़ा गया, ताकि वह अपने प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रह सके।

रेस्क्यू के बाद, लोगों ने राहत की सांस ली, क्योंकि अजगर को देखने के लिए जुटी भीड़ के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में कठिनाई का सामना करना पड़ा। वन्यजीव विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी वन्यजीव को नुकसान न पहुंचाएं और ऐसी स्थितियों में तुरंत अधिकारियों को सूचित करें। शहरी क्षेत्रों में वन्यजीवों के आने पर उचित कदम उठाना जरूरी है, क्योंकि उनका शिकार करना न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनी रूप से भी दंडनीय हो सकता है।

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दिल्ली विधानसभा सत्र: मोहल्ला क्लीनिक में गड़बड़ी की जांच, रेखा सरकार आज पेश करेगी CAG रिपोर्ट

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10 साल में केवल आधे मरीजों का इलाज, एक मिनट में नहीं सुना जाता उनकी परेशानी; CAG रिपोर्ट में मोहल्ला क्लीनिक की कई कमियां उजागर

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नई दिल्ली: दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों की स्थिति पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में गंभीर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर मरीजों को देखने में एक मिनट से कम समय व्यतीत कर रहे हैं, जबकि कई क्लीनिकों में आवश्यक उपकरणों की कमी देखी गई है, और कुछ क्लीनिक महीनों तक बंद रहे। इसमें दवाओं की अनुपलब्धता, लैब सेवाओं का ठप होना, और आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा किए गए वादों के अनुसार कम क्लीनिकों के निर्माण जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। रिपोर्ट में क्लीनिकों के निरीक्षण में लापरवाही का भी उल्लेख किया गया है।

CAG की रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। इसमें बताया गया है कि अधिकांश मरीजों को डॉक्टरों द्वारा एक मिनट से भी कम समय दिया जा रहा है, और जरूरी उपकरण जैसे पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, एक्स-रे व्यूअर, थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर मॉनिटर कई क्लीनिकों में उपलब्ध नहीं हैं।

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 18% क्लीनिक 15 दिनों से लेकर 23 महीनों तक बंद रहे हैं। इसके पीछे डॉक्टरों की कमी, इस्तीफे और डी-एम्पैनलमेंट जैसे कारण बताए गए हैं। चार जिलों के 218 क्लीनिकों में से 41 क्लीनिक बंद मिले। अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के बीच 70% मरीजों को एक मिनट से भी कम समय के लिए परामर्श दिया गया, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं।

दवाओं की उपलब्धता पर भी चिंता जताई गई है। 74 क्लीनिकों में आवश्यक दवा सूची (EDL) में शामिल 165 दवाओं का पूरा स्टॉक नहीं पाया गया। दवाओं की आपूर्ति में बार-बार आने वाली दिक्कतों के कारण कई बार ऑर्डर पूरे नहीं हो पाए या आंशिक रूप से ही पूरे हुए। कई दवाएं या तो खरीदी ही नहीं गईं या ऑर्डर देने के बावजूद विक्रेताओं द्वारा डिलीवर नहीं की गईं। इसके परिणामस्वरूप, क्लीनिकों की समय पर देखभाल प्रदान करने की क्षमता प्रभावित हुई।

AAP सरकार के 10 साल के शासन में केवल 53% नियोजित मोहल्ला क्लीनिक ही बन पाए हैं। दूसरे कार्यकाल में सिर्फ 38 क्लीनिक जोड़े गए, जो उनके मेडिकल सर्विस के लक्ष्य से काफी पीछे हैं। 2015 में AAP सरकार ने 1000 क्लीनिक बनाने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है। CAG रिपोर्ट में प्रोजेक्ट में देरी पर भी चिंता व्यक्त की गई है।

अधिकांश मोहल्ला क्लीनिकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी का भी खुलासा हुआ है। 81 क्लीनिकों के मूल्यांकन में कई कमियां पाई गईं, जैसे कि 10 क्लीनिकों में पीने के पानी की अनुपलब्धता और 24 में दवाओं के भंडारण के लिए एयर कंडीशनिंग की कमी। इसके अलावा, कई क्लीनिकों में शौचालय की सुविधाएं भी नहीं थीं।

CAG ने बताया कि डीजीएचएस ने 26 फरवरी 2018 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें सभी मोहल्ला क्लीनिकों का तिमाही दौरा अनिवार्य किया गया था। हालाँकि, ऑडिट से पता चला है कि मार्च 2018 और मार्च 2023 के बीच केवल 1.5% निरीक्षण ही पूरे किए गए।

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