दिल्ली की विवादास्पद आबकारी नीति अब पंजाब में भी चर्चा का विषय बन गई है। अकाली दल और कांग्रेस ने नई शराब नीति की समीक्षा और सीएजी रिपोर्ट की मांग की है, जिससे मुख्यमंत्री भगवंत मान की स्थिति कठिन हो सकती है।
दिल्ली में जिस आबकारी नीति को आम आदमी पार्टी की हार का कारण माना गया, वही अब पंजाब में भी सियासी बहस का केंद्र बन गई है। अकाली दल और कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि जब यह नीति दिल्ली में समस्याएं पैदा कर रही है, तो पंजाब में इसे लागू करने का क्या कारण है। उनका तर्क है कि अगर इस नीति ने दिल्ली में राजस्व का नुकसान किया, तो पंजाब में भी ऐसा क्यों नहीं हो रहा? दोनों दलों ने पंजाब में नई शराब नीति की समीक्षा और सीएजी रिपोर्ट पेश करने की मांग की है, जिससे मुख्यमंत्री भगवंत मान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
पंजाब शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि हाल में दिल्ली विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई है, जिसमें बताया गया है कि नई शराब नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। उन्होंने बीजेपी से पूछा कि इस मामले में दोहरे मानदंड क्यों हैं? उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में कई लोग, जैसे अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया, इस नीति के कारण जेल गए, जबकि वही नीति पंजाब में लागू है और यहां किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई।
सुखबीर सिंह बादल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से पूछा कि नई शराब नीति के कारण पंजाब को पिछले तीन सालों में कितना नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि अगर जांच एजेंसियों ने दिल्ली में एक साल में 2,000 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर किया, तो पंजाब के तीन साल का आंकड़ा क्या है?
कांग्रेस ने भी इसी मुद्दे को उठाया है, यह कहते हुए कि पंजाब में जो नीति लागू है, वह दिल्ली की नीति की हूबहू नकल है। उनकी मांग है कि इस नीति में भ्रष्टाचार की जांच की जाए और जिन लोगों ने पंजाब के खजाने को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है, चाहे वह मुख्यमंत्री भगवंत मान हों या वित्त मंत्री हरपाल चीमा, उनकी भी जांच होनी चाहिए।