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दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण: सरकार की रणनीति क्या है? पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा का विशेष इंटरव्यू, जानें सभी जानकारियाँ।

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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या पिछले कुछ वर्षों से लगातार गंभीर बनी हुई है। खासकर सर्दियों में, दिल्ली की खराब हवा लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। नई सरकार के गठन के साथ प्रदूषण कम करने की चुनौती और भी महत्वपूर्ण हो गई है। इस संदर्भ में, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा से बातचीत की गई, जिसमें प्रदूषण से जुड़ी समस्याएं, अड़चनें और समाधान पर चर्चा की गई।

**सवाल: दिल्ली में प्रदूषण को आप किस प्रमुख कारण से जोड़ते हैं?**

**जवाब:** दिल्ली में प्रदूषण के तीन मुख्य कारण हैं। पहला, दिल्ली का अपना प्रदूषण, जिसमें धूल, वाहनों की संख्या और शहरीकरण के कारण हरियाली में कमी शामिल है। सर्दियों में यह प्रदूषण हवा में फंस जाता है। दूसरा, हरियाणा और पंजाब में पराली जलने से उत्पन्न धुआं भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाता है। तीसरा, पिछले दस वर्षों में इन मुद्दों पर कोई ठोस कार्य नहीं हुआ है, केवल बहाने बनाए गए हैं।

**सवाल: प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?**

**जवाब:** प्रदूषण कम करने के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रकार की योजनाएं आवश्यक हैं। हमें पहले कूड़े के ढेरों को खत्म करना होगा, जिसके लिए हम अगले डेढ़ से दो वर्षों में 80-90% कूड़ा हटाने का वादा करते हैं। इसके अलावा, 15 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। हम पेट्रोल पंपों में ऐसा सिस्टम स्थापित करेंगे जो पुरानी गाड़ियों को ईंधन नहीं देगा। धूल के प्रदूषण को कम करने के लिए हम पानी का छिड़काव करेंगे। सभी संबंधित एजेंसियों के साथ हम बैठकें करेंगे ताकि सड़क पर धूल को नियंत्रित किया जा सके। निर्माण गतिविधियों के लिए भी सख्त नियम लागू किए जाएंगे।

**सवाल: निर्माण कार्य और ट्रैफिक से बढ़ते प्रदूषण को कैसे नियंत्रित किया जाएगा?**

**जवाब:** कानूनी निर्माण कार्यों के लिए हमें प्रदूषण से बचने के सभी उपाय करने होंगे। गैरकानूनी निर्माण को रोकना हमारी प्राथमिकता होगी। उच्च इमारतें भी प्रदूषण में योगदान कर रही हैं, इसलिए ग्रीन बिल्डिंग के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी। जो प्रदूषण फैला रहे हैं, उन्हें समाधान प्रदान करना होगा।

**सवाल: एनसीआर के अन्य राज्यों के साथ प्रदूषण के मुद्दे पर क्या सहयोग किया जाएगा?**

**जवाब:** हां, एनसीआर के राज्यों के साथ बैठकों का आयोजन किया जाएगा। प्रदूषण को कम करने के लिए एक सामूहिक प्रयास आवश्यक है। हमें मिलकर समाधान निकालने होंगे और गलती स्वीकार करनी होगी ताकि हम आगे बढ़ सकें।

**सवाल: दिल्ली में ट्रैफिक जाम को लेकर आपकी योजना क्या है?**

**जवाब:** हम पीडब्ल्यूडी से बोतलनेक क्षेत्रों की पहचान करने के लिए कहेंगे, ताकि उन्हें सुधारने के उपाय किए जा सकें।

**सवाल: विभागों के बीच सामंजस्य की कमी को कैसे दूर किया जाएगा?**

**जवाब:** हमने कार्यों को विधानसभा से लेकर वार्ड स्तर तक बांट दिया है। हम हर वार्ड में चार पानी के छिड़काव करने वाले उपकरण लाएंगे। इसके लिए जल बोर्ड से ट्रीटेड पानी की मांग की जाएगी।

इस बातचीत में प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, ताकि दिल्ली की हवा को साफ और स्वस्थ बनाया जा सके।

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बदरपुर में विशाल अजगर का रेस्क्यू: टीम की मेहनत से बचाई गई जान, वीडियो हुआ वायरल

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दिल्ली के बदरपुर क्षेत्र में एक विशाल अजगर (python) नजर आया, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। जैसे ही लोगों को इसकी जानकारी मिली, बड़ी संख्या में लोग अजगर को देखने के लिए इकट्ठा हो गए। कुछ युवकों ने अजगर को पत्थर मारकर परेशान करने की कोशिश की। इस दौरान, किसी ने वन्यजीव रेस्क्यू टीम को सूचना दी। टीम तुरंत मौके पर पहुंची और अजगर को सुरक्षित तरीके से पकड़ा।

अजगर को पकड़ने का प्रयास करते समय कई लोग वहां मौजूद थे। उसका आकार इतना बड़ा था कि उसे नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन अंततः सामूहिक प्रयासों से उसे सफलतापूर्वक पकड़ लिया गया। इसके बाद, अजगर को सूरजकुंड के जंगलों में छोड़ा गया, ताकि वह अपने प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रह सके।

रेस्क्यू के बाद, लोगों ने राहत की सांस ली, क्योंकि अजगर को देखने के लिए जुटी भीड़ के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में कठिनाई का सामना करना पड़ा। वन्यजीव विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी वन्यजीव को नुकसान न पहुंचाएं और ऐसी स्थितियों में तुरंत अधिकारियों को सूचित करें। शहरी क्षेत्रों में वन्यजीवों के आने पर उचित कदम उठाना जरूरी है, क्योंकि उनका शिकार करना न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनी रूप से भी दंडनीय हो सकता है।

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दिल्ली विधानसभा सत्र: मोहल्ला क्लीनिक में गड़बड़ी की जांच, रेखा सरकार आज पेश करेगी CAG रिपोर्ट

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10 साल में केवल आधे मरीजों का इलाज, एक मिनट में नहीं सुना जाता उनकी परेशानी; CAG रिपोर्ट में मोहल्ला क्लीनिक की कई कमियां उजागर

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नई दिल्ली: दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों की स्थिति पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में गंभीर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर मरीजों को देखने में एक मिनट से कम समय व्यतीत कर रहे हैं, जबकि कई क्लीनिकों में आवश्यक उपकरणों की कमी देखी गई है, और कुछ क्लीनिक महीनों तक बंद रहे। इसमें दवाओं की अनुपलब्धता, लैब सेवाओं का ठप होना, और आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा किए गए वादों के अनुसार कम क्लीनिकों के निर्माण जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। रिपोर्ट में क्लीनिकों के निरीक्षण में लापरवाही का भी उल्लेख किया गया है।

CAG की रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। इसमें बताया गया है कि अधिकांश मरीजों को डॉक्टरों द्वारा एक मिनट से भी कम समय दिया जा रहा है, और जरूरी उपकरण जैसे पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, एक्स-रे व्यूअर, थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर मॉनिटर कई क्लीनिकों में उपलब्ध नहीं हैं।

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 18% क्लीनिक 15 दिनों से लेकर 23 महीनों तक बंद रहे हैं। इसके पीछे डॉक्टरों की कमी, इस्तीफे और डी-एम्पैनलमेंट जैसे कारण बताए गए हैं। चार जिलों के 218 क्लीनिकों में से 41 क्लीनिक बंद मिले। अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के बीच 70% मरीजों को एक मिनट से भी कम समय के लिए परामर्श दिया गया, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं।

दवाओं की उपलब्धता पर भी चिंता जताई गई है। 74 क्लीनिकों में आवश्यक दवा सूची (EDL) में शामिल 165 दवाओं का पूरा स्टॉक नहीं पाया गया। दवाओं की आपूर्ति में बार-बार आने वाली दिक्कतों के कारण कई बार ऑर्डर पूरे नहीं हो पाए या आंशिक रूप से ही पूरे हुए। कई दवाएं या तो खरीदी ही नहीं गईं या ऑर्डर देने के बावजूद विक्रेताओं द्वारा डिलीवर नहीं की गईं। इसके परिणामस्वरूप, क्लीनिकों की समय पर देखभाल प्रदान करने की क्षमता प्रभावित हुई।

AAP सरकार के 10 साल के शासन में केवल 53% नियोजित मोहल्ला क्लीनिक ही बन पाए हैं। दूसरे कार्यकाल में सिर्फ 38 क्लीनिक जोड़े गए, जो उनके मेडिकल सर्विस के लक्ष्य से काफी पीछे हैं। 2015 में AAP सरकार ने 1000 क्लीनिक बनाने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है। CAG रिपोर्ट में प्रोजेक्ट में देरी पर भी चिंता व्यक्त की गई है।

अधिकांश मोहल्ला क्लीनिकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी का भी खुलासा हुआ है। 81 क्लीनिकों के मूल्यांकन में कई कमियां पाई गईं, जैसे कि 10 क्लीनिकों में पीने के पानी की अनुपलब्धता और 24 में दवाओं के भंडारण के लिए एयर कंडीशनिंग की कमी। इसके अलावा, कई क्लीनिकों में शौचालय की सुविधाएं भी नहीं थीं।

CAG ने बताया कि डीजीएचएस ने 26 फरवरी 2018 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें सभी मोहल्ला क्लीनिकों का तिमाही दौरा अनिवार्य किया गया था। हालाँकि, ऑडिट से पता चला है कि मार्च 2018 और मार्च 2023 के बीच केवल 1.5% निरीक्षण ही पूरे किए गए।

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