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क्या कांग्रेस से अनबन के बावजूद दिल्ली में वापसी संभव है? शशि थरूर के सवालों ने उठाया नया मुद्दा

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नई दिल्ली: केरल में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस अवसर पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर के उठाए गए सवालों ने कांग्रेस नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है। इस स्थिति को संभालने के लिए थरूर से बातचीत की गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने इस मामले में नियंत्रण पाने में सफलता हासिल की है। शुक्रवार को केरल के कांग्रेस नेताओं की एक बैठक आयोजित की गई है, जिसमें शशि थरूर के भी शामिल होने की संभावना है। हालांकि, थरूर ने पार्टी संगठन के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातें उठाई हैं। उन्होंने एबीपी न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि दिल्ली में वापसी कठिन है क्योंकि वहां कोई ठोस गतिविधि नहीं हो रही है। संगठन को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।

थरूर ने संगठन की मजबूती पर जोर देते हुए कहा कि जहां हमारा संगठन मजबूत है, जैसे दक्षिण भारत में, वहां हम अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की लगातार तीसरी हार के कई कारण बताए। उनका कहना है कि हर राज्य का राजनीतिक इतिहास और प्रकृति अलग होती है। बीजेपी को दक्षिण भारत में उत्तर भारत जैसी सफलता नहीं मिल रही है। कांग्रेस हर राज्य में अपनी उपस्थिति बनाए हुए है।

दिल्ली में हार के असली कारणों पर बात करते हुए थरूर ने कहा कि कांग्रेस वहां मौजूद है, और हमें 70 सीटों पर उम्मीदवार मिले हैं। लगातार तीन बार हारने का मतलब यह है कि वापसी में कठिनाई होगी। अगर लोग तीन बार हार के बाद अन्य विकल्पों की तलाश करने लगते हैं, तो यह एक बड़ा चुनौती है। उन्होंने उल्लेख किया कि कुछ राज्यों में हमें गठबंधन के जरिए आगे बढ़ने की आवश्यकता हो सकती है।

शशि थरूर ने बिहार और बंगाल का भी जिक्र करते हुए कहा कि विभिन्न राज्यों में हमें अपनी रणनीति को अनुकूलित करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन से लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। हमारी उपस्थिति पूरे देश में महसूस की जा रही है, हालांकि विधानसभा चुनावों में मतदाता की सोच अलग होती है।

थरूर ने केंद्र सरकार के प्रति विपक्ष के रवैये को लेकर भी अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विपक्ष में होते हुए हर फैसले का विरोध करना सही नहीं है। हमें विकास और लोगों के हित के बारे में सोचना चाहिए। विदेश नीति पर उन्होंने यह कहा कि न तो कांग्रेस और न ही बीजेपी की अपनी विदेश नीति होनी चाहिए, बल्कि सभी क्षेत्रों में एक समग्र दृष्टिकोण होना चाहिए।

थरूर ने इससे पहले कांग्रेस नेतृत्व के प्रति अपनी नाराजगी की अटकलों को खारिज किया था। उन्होंने कहा कि उनके पॉडकास्ट में कोई विशेष राजनीतिक विवाद नहीं था। थरूर ने 2009 में संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने के बाद से लगातार चार बार केरल की तिरुवनंतपुरम सीट से लोकसभा सांसद रहे हैं।

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